Friday 24 November 2017

समान शिक्षा और सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन

विभिन्न चित्रों, स्लोगन, कविताओं  और नारों के माध्यम से सभी के लिए समान शिक्षा के अवसर की उपलब्धता की आवश्यकता को दर्शाया गया



‘एक राष्ट्र एक शिक्षा प्रणाली अभियान’ एवं ‘आशा ट्रस्ट’ के संयुक्त के तत्वावधान में गुरूवार को अस्सी घाट वाराणसी पर सभी के लिए समान शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए ‘पोस्टर प्रदर्शनी’ का आयोजन किया गया. पोस्टर प्रदर्शनी में विभिन्न चित्रों, स्लोगन, कविताओं  और नारों के माध्यम से सभी के लिए समान शिक्षा के अवसर की उपलब्धता की आवश्यकता को दर्शाया गया था. अभियान के बारे में बताते हुए कार्यकर्ताओं ने कहा कि  शिक्षा के बढ़ते बाजारीकरण के कारण आज समाज का एक बड़ा हिस्सा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहा हैकोई स्पष्ट नीति न होने के कारण सरकारी विद्यालयों की स्थिति क्रमशः दयनीय होती जा रही है. एक राष्ट्र एक शिक्षा प्रणाली अभियान का मानना है कि देश में सभी को एक जैसी शिक्षा का अवसर मिलना चाहिए चाहे वह राष्ट्रपति की संतान हो अथवा किसान की. सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने से ही यह संभव हो सकेगा. जब सरकारी अधिकारियोंकर्मचारियोंजन प्रतिनिधियों व न्यायाधीशों के बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाएंगे तो सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता में रातों-रात सुधार होगा जिसका फायदा गरीब जनता को भी मिलेगाउसका बच्चा भी अच्छी शिक्षा पाएगा, इसका लाभ उन मध्यम वर्गीय परिवारों को भी मिलेगा जो अभी अपने बच्चों को मनमाना शुल्क वसूल करने वाले निजी विद्यालयों में भेजने के लिए मजबूर हैं क्योंकि तब ये लोग भी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में ही पढ़ाएंगे । जिस प्रकार नवोदय विद्यालयों और केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए अभिभावक उत्सुकता दिखाते हैं उसी प्रकार सरकारी प्राथमिक स्कूलों की भी गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार होने पर बच्चों के प्रवेश के लिए लोगों का झुकाव होगा.
              आयोजकों ने बताया कि  उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के दृष्टिगत उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के 18 अगस्त 2015 को दिए गए ऐतिहासिक फैसले का महत्व बहुत ही अधिक है जिसमे कोर्ट ने सभी नौकरशाहोंसरकारी कर्मचारियों और जन प्रतिनिधियों के लिए उनके बच्चों को सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़वाना अनिवार्य किये जाने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था. उक्त आदेश से परिषदीय स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार की चर्चा समाज के हर स्तर पर प्रारंभ हुयी थी लेकिन इसे सार्थक और व्यावहारिक स्तर तक ले जाने के लिए सरकार की कोई इच्छाशक्ति नही रही है.
               अभियान की तरफ से जारी पोस्टरों में मांग की गयी कि इंटर तक की शिक्षा का पूर्ण सरकारीकरण किया जाये तथा निजी शिक्षण संस्थाओं पर पूरी तरह से रोक लगाई जाये. माननीय उच्च न्यायालय के दिनांक 18 अगस्त 2015 का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय  और इसे देश के स्तर तक लागू किया जाय. शिक्षा का बजट बढाया जाय. परिषदीय/सरकारी स्कूलों में उच्च स्तर के संसाधन उपलब्ध कराये जांय.सभी सांसद एवं विधायक अपनी निधि से अनिवार्य रूप से कम से कम 30 प्रतिशत धनराशि अपने क्षेत्र के परिषदीय/सरकारी विद्यालयों के संसाधन को उच्च स्तरीय बनाने में व्यय करें. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर की जायशिक्षकों से किसी भी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाय तथा प्रत्येक सरकारी विद्यालय पर अनिवार्य रूप से लिपिक, परिचारकचौकीदार और सफाई कर्मी की नियुक्ति हो और सभी के लिए समान शिक्षा की नीति  पूरे देश में व्यवहारिक रूप से लागू की जाय.
               आयोजन में एक राष्ट्र एक शिक्षा प्रणाली अभियान के दीन दयाल सिंह, वल्लभाचार्य पाण्डेय, डॉ. सरोज सिंह, विनय सिंहप्रोफेसर महेश विक्रम, शिरीष अग्रवालसुरेश कुमार राठोरडा. इन्दू पाण्डेय, सूरज पाण्डेय, मुकेश उपाध्याय, चिंतामणि सेठ, दिवाकर, धनंजय त्रिपाठी, महिमा, नीतिशालिनी, महेंद्र, प्रेम सम्मलित रहे.












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